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ग्रीनहाउस खेती

इस राज्य के किसानों को ग्रीन हाउस के लिए मिल रहा है, 70 फीसद तक अनुदान

इस राज्य के किसानों को ग्रीन हाउस के लिए मिल रहा है, 70 फीसद तक अनुदान

बागवानी फसलों को मौसमिक प्रभाव से संरक्षित करने हेतु राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत राजस्थान राज्य के कृषकों को ग्रीन हाउस के निर्माण के व्यय पर 50 से 70 फीसद तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। आधुनिक तकनीकों द्वारा फिलहाल कृषि को बहुत गुना सुगम कर दिया है। विगत समय में किसान खेतों में मौसमिक आधार पर बागवानी फसल यानी सब्जियां-फलों का उत्पादन किया करते थे। परंतु फिलहाल ग्रीन हाउस, लो टनल एवं पॉलीहाउस जैसे संरक्षित ढांचों में गैर-मौसमी सब्जियों का उत्पादन करके सामान्य से ज्यादा पैदावार ली जा सकती है। यदि हम बात करें ग्रीनहाउस की तब इस संरक्षित ढांचे में उत्पादित की जा रही बागवानी फसलें जैसे सब्जियां-फल सर्दियों में पाले एवं गर्मियों में धूप के भयंकर ताप से सुरक्षित रहती है। इसकी सहायता से मौसमिक मार एवं कीट-रोग से उत्पन्न समस्याओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं। यही कारण है, कि फिलहाल सरकार भी कृषकों को ग्रीन हाउस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इसी क्रम में राजस्थान के किसान भाइयों के लिए भी ग्रीन हाउस निर्मित करने हेतु अनुदान प्रदान किया जा रहा है।

किसानों के लिए कितने फीसद अनुदान प्रदान किया जा रहा है

  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत राजस्थान के किसान भाइयों को ग्रीनहाउस के लिए किए जाने वाले निर्माण व्यय पर 50 से 70 फीसद तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
  • सामान्य वर्गीय कृषकों को ग्रीन हाउस के इकाई व्यय पर 50 फीसद अनुदान दिया जाएगा।
  • लघु, सीमांत, एससी, एसटी वर्ग के किसान भाइयों को इकाई व्यय पर 20 फीसद ज्यादा मतलब 70% अनुदान प्रदान किया जाएगा।
  • इस अनुदान योजना का फायदा उठाने के लिए किसान भाइयों को न्यूनतम 4000 वर्ग मीटर का ग्रीन हाउस निर्मित करना पड़ेगा।
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जानें किन किसानों को मिल पाएगा लाभ

ग्रीन हाउस पर अनुदान योजना का फायदा प्रति पात्र किसान तक पहुंच पाए। इस वजह से योजना की पात्रता तय की गई है, जिसके अंतर्गत किसान के पास स्वयं की कृषि लायक भूमि का होना अति आवश्यक है। ध्यान रहे कि आवेदन करते वक्त कृषकों को स्वयं का मूल निवास प्रमाण पत्र भी लगाना होगा। किसान भाई खेत में सिंचाई संबंधित उत्तम व्यवस्था रखें। मृदा-जलवायु की जांच रिपोर्ट एवं एससी-एसटी की पहचानने हेतु जाति प्रमाण पत्र भी जोड़ना होगा।

किसान भाई योजना का लाभ लेने के लिए यहां आवेदन करें

राजस्थान राज्य में किसान भाइयों के लिए जारी ग्रीन हाउस पर अनुदान योजना का फायदा उठाने हेतु राज किसान ऑफिशियल पोर्टल rajkisan.rajasthan.gov.in पर आवेदन करना पड़ेगा। यदि किसान भाई चाहें तो अपने आसपास किसी जन सेवा केंद्र अथवा ई-मित्र केंद्र पर भी आवेदन कर सकते हैं। इस योजना से जुड़ी जानकारी राजस्थान सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://dipr.rajasthan.gov.in/ पर विस्तृत रूप से प्रदान की गई है। ज्यादा जानकारी हेतु किसान अपने जनपद के कृषि या बागवानी विभाग के कार्यालय में जाकर संपर्क करें।
सफेद बैंगन की खेती से किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा मिलता है

सफेद बैंगन की खेती से किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा मिलता है

अगर आप सफेद बैंगन की बिजाई करते हैं, तो इसके तुरंत उपरांत फसल में सिंचाई का कार्य कर देना चाहिए। इसकी खेती के लिये अधिक जल की जरुरत नहीं पड़ती। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि प्रत्येक क्षेत्र में लोग लाभ उठाने वाला कार्य कर रहे हैं। 

उसी प्रकार खेती-किसानी के क्षेत्र में भी वर्तमान में किसान ऐसी फसलों का पैदावार कर रहे हैं। जिन फसलों की बाजार में मांग अधिक हो और जो उन्हें उनके खर्चा की तुलना में अच्छा मुनाफा प्रदान कर सकें। 

सफेद बैंगन भी ऐसी ही एक सब्जी है, जिसमें किसानों को मोटा मुनाफा अर्जित हो रहा है। काले बैंगन की तुलनात्मक इस बैंगन की पैदावार भी अधिक होती है। 

साथ ही, बाजार में इसका भाव भी काफी अधिक मिल पाता है। सबसे मुख्य बात यह है, कि बैंगन की यह प्रजाति प्राकृतिक नहीं है। इसे कृषि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के माध्यम से विकसित किया है।

बैंगन की खेती कब और कैसे होती है

सामान्यतः सफेद बैंगन की खेती ठण्ड के दिनों में होती है। परंतु, आजकल इसे टेक्नोलॉजी द्वारा गर्मियों में भी उगाया जाता है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सफेद बैंगन की दो किस्में- पूसा सफेद बैंगन-1 और पूसा हरा बैंगन-1 को विकसित किया है। 

सफेद बैंगन की यह किस्में परंपरागत बैंगन की फसल की तुलना में अतिशीघ्र पककर तैयार हो जाती है। बतादें, कि इसका उत्पादन करने हेतु सबसे पहले इसके बीजों को ग्रीनहाउस में संरक्षित हॉटबेड़ में दबाकर रखा जाता है। 

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साथ ही, इसके उपरांत इसकी बिजाई से पूर्व बीजों का बीजोपचार करना पड़ता है। ऐसा करने से फसल में बीमारियों की आशंका समाप्त हो जाती है। 

बीजों के अंकुरण तक बीजों को जल एवं खाद के माध्यम से पोषण दिया जाता है और पौधा तैयार होने के उपरांत सफेद बैंगन की बिजाई कर दी जाती है। यदि अत्यधिक पैदावार चाहिए तो सफेद बैंगन की बिजाई सदैव पंक्तियों में ही करनी चाहिए।

सफेद बैंगन की खेती बड़ी सहजता से कर सकते हैं

जानकारी के लिए बतादें कि सफेद बैंगन की रोपाई यदि आप करते हैं, तो इसके शीघ्र उपरांत फसल में सिंचाई का कार्य कर देना चाहिए। इसकी खेती के लिये अत्यधिक जल की आवश्यकता नहीं पड़ती है। 

यही कारण है, कि टपक सिंचाई विधि के माध्यम से इसकी खेती के लिए जल की जरूरत बड़े आराम से पूरी हो सकती है। हालांकि, मृदा में नमी को स्थाई रखने के लिये वक्त-वक्त पर आप सिंचाई करते रहें। 

सफेद बैंगन की पैदावार को बढ़ाने के लिए जैविक खाद अथवा जीवामृत का इस्तेमाल करना अच्छा होता है। जानकारी के लिए बतादें, कि इससे बेहतरीन पैदावार मिलने में बेहद सहयोग मिल जाता है। 

इस फसल को कीड़े एवं रोगों से बचाने के लिये नीम से निर्मित जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि बैंगन की फसल 70-90 दिन के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है।